महाराजा सुहेलदेव पर फिल्म अब बनने जा रही है। ‘सुहेलदेव- द किंग हू सेव्ड इंडिया’ नाम की जिस किताब पर फिल्म बनने की चर्चा बॉलीवुड सुपर स्टार अजय देवगन की पिछली फिल्म ‘तानाजी द अनसंग वॉरियर के समय से ही होती आ रही है, उस पर  अब जाकर फिल्म बनने की बात फाइनल हो सकी है। किताब पर फिल्म बनाने के अधिकार बिक चुके हैं। लेकिन ये फिल्म अब अजय देवगन या उनकी कंपनी नहीं बना रही है। इस फिल्म को बना रहे हैं सेंथिल कुमार जो विज्ञापन फिल्मों के लिए मशहूर हैं। इस फिल्म को Wakaoo Films, Casa Media और Immortal Studios प्रोड्यूस कर रहे हैं।

महाराजा सुहेलदेव को भारतीय इतिहास के सबसे पराक्रमी राजाओं में से एक माना जाता है। उन्होंने देश पर बार बार आक्रमण करके लूटपाट करने वाले महमूद गजनी की सेना को खदेड़ दिया था। ‘सुहेलदेव- द किंग हू सेव्ड इंडिया’ के लेखक अमीश त्रिपाठी हैं। इस किताब में महमूद गजनी और महाराजा सुहेलदेव की सेना के बीच बहराइच में हुए युद्ध की गाथा को बताया गया है। इसी किताब पर फिल्म बनाने की तैयारियां चल रही हैं। जल्दी ही इस फिल्म में काम करने वाले कलाकारों का ऐलान हो जाएगा।

महाराजा सुहेलदेव का शासन काल 11वीं शताब्दी में वर्ष 1027 ई. से 1077 तक माना गया है. उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार पूर्व में गोरखपुर और पश्चिम में सीतापुर तक किया. महाराजा सुहेलदेव का वर्णन फारसी में लिखे ऐतिहासिक उपन्यास ‘मिरात-ए-मसूदी’ में भी विस्तार से मिलता है।

महाराजा सुहेलदेव की वीरता की कहानी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा तब शुरु होता है, जब महमूद ग़ज़नी भारत की विरासत और खजाने को लूट कर वापस जा चुका था…महमूद गजनवी की मृत्य के बाद उसके भतीजे सैयद सालार मसूद ने भी अपने चाचा की तरह गाजी कहलवाने के लिए भारत पर हमला बोला…दिल्ली के बाद उसका अगला पड़ाव हिन्दू धर्म का केंद्र अयोध्या और वाराणसी था।

महाराजा सुहेलदेव किसी भी सूरत में सैयद सालार मसूद को अयोध्या की पावन भूमि  में घुसने देना नहीं चाहते थे…उन्होंने अपनी सेना और प्रजा से दो टूक कह दिया कि एक भी दुश्मन ज़िंदा वापस नहीं जाना चाहिए… 8 जून 1034 को दोनों ओर की सेनाएं आमने-सामने थीं… रणभूमि थी बहराइच के चिंतौरा झील से हठीला और अनारकली झील तक… सालार मसूद की फौज में डेढ़ लाख से ज्यादा सैनिक थे.  सालार मसूद ने दाहिनी ओर की कमान मीर नसरूल्ला को और बाई ओर की कमान सालार रज्जब को सौंपी. उसने खुद केंद्रीय कमान का नेतृत्व संभाल कर हमला किया।

दो दिनों तक भीषण संग्राम चला. सालार मसूद… वीर महाराजा सुहेलदेव के चक्रव्यूह में फंस चुका था…महाराजा सुहेलदेव की सेना ने बिषबुझे बाणों की जबरदस्त बौछार की… उन्होंने मसूद पर निशाना साध कर एक तीर छोड़ा जो सीधे उसके गले में जा लगा और वह मारा गया। इस महायुद्ध में महाराजा सुहेलदेव की सेना ने सालार मसूद के डेढ़ लाख सैनिकों में से एक को भी जिंदा नहीं छोड़ा…

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