लंबे इंतजार के बाद आखिरकार हमारे श्रींकात भैया आखिर आ ही गए और आए तो फिर छा ही गए..जीहां बात कर रहे हैं एमजॉन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुए द फैमिली मैन सीजन टू की। 4 जून को रिलीज इस वेबसीरीज को जबरदस्त पसंद किया जा रहा है और इस शो से साउथ की सुपरस्टार एक्ट्रेस सामंता ने धमाकेदार एंट्री की है कम बोलते हुए भी उन्होंने जो धमाका किया है ना उसे आप जब यह सीरीज देखेंगे तभी समझ पाएंगे…
द फैमिलीमैन सीजन 2 की शुरूआत होती है श्रीलंका के सीन से जहां बड़ी प्लानिंग कर रहे रीबेल्स के मंसूबों को सेना की कार्रवाई में कुचल दियया जाता है। खुद को क्रांतिकारी कहनेवाले इन लोगों को भागना पड़ता है लेकिन उनके दिल और दिमाग में बदले की भावना बनी हुई है और उन्हें बस मौके की तलाश है।
फिर सामने आता है श्रीकांत तिवारी का नया अंदाज जिसमें पता चलता है कि वह टास्क की जॉब छोड़ कर एक आईटी कंपनी की जॉब ज्वाइन कर चुके हैं जहां 28 साल का उनका बॉस हमेशा उन पर नजर रखता है, टारगेट रिपोर्ट्स मांगता है और अपना मैक्जिमम देने की नसीहतें देता रहता है, हालांकि इसके बाद भी श्रीकांत का मन यहां नहीं लगता और वह जेके से टास्क की बातें करता रहता है।
श्रीकांत अब टाइम पर ऑफिस जाता है, टाइम पर घर आता है, ब्रेकफास्ट और खाना भी बनाता है लेकिन उसकी पत्नी शुचिता फिर भी खुश नहीं है। बेटी धृति बड़ी हो रही है जो किसी और की सलाह और अपने को बच्ची मानने को तैयार नहीं है. 9 साल का बेटा अथर्व जरूर पापा से प्यार करता है लेकिन वह ब्लैकमेलिंग भी सीख चुका है।
कहानी आगे बढ़ती है और श्रीकांत का पुराना दुश्मन पाकिस्तानी ऑफिसर समीर लंकन रीबेल्स के साथ मिल कर बड़ी साजिश को अंजाम दे रहा होता है। वह साजिश के तहत रिबेल लीडर के भाई सुब्बू को धमाके में मरवा देता है और उसके निशाने पर है भारतीय और श्रीलंकाई प्रधानमंत्री बैठक जो चेन्नई में होने वाली है।
इसी बीच सामने आती है राजी जो एक बागी है, उसे अपने परिवार का बदला लेना है, फिलहाल वह छिप कर रह रही होती है और एक स्पिनंग मिल में काम करती है। यहां उसका सुपवाइजर उस पर बुरी नजर रखता है।
राजी एक डरी-सहमी रहने वाली महिला है जो बस में बैड टच करने वालों को भी अपोज नहीं कर पाती है, लेकिन जब पानी सिर के ऊपर चला जाता है और एक बदमाश बुरी नीयत से उसका पीछा करते हुए घर तक चला आता है तब राजी का असली रूप सामने आता है। वह चीजे की तेजी से एक झटके में इस बदमाश को मार डालती है, तब पता चलता है कि वह एक ट्रेंड फाइटर पायलट है और सामने आ जाएं तो एक साथ दर्जनों लोगों को मार गिराने की ताकत रखती है।
कहानी फिर श्रीकांत तिवारी की तरफ लौटती है। श्रीकांत की वाइफ घरेलू टेंशन को दूर करने के लिए उन्हें काउंसलर के पास ले जाती है लेकिन यहां भी बात नहीं बनती है। आखिर में शुचि के बर्थडे पर दोनों का झगड़ा होता है और शुचि कह देती है कि इससे तो अच्छा था कि तुम टास्क ही ज्वाइन कर लेते। श्रीकांत को मुंहमांगी मुराद मिल जाती है, फैमिली और काम की टेंशन में उलझा श्रीकांत अपने आईटी वाले बॉस को कुछ थप्पड़ जड़ कर वहां से रिजाइन करता है और वापस टास्क ज्वाइन करता है और फिर कहानी पटरी पर आ जाती है।
उधर श्रीकांत की वाइफ शुचि भी वापस अरविंद की कंपनी में ज्वाइन करती है, इधर श्रीकांत की बेटी धृति एक अनजान लड़के की मोहब्बत में पड़ जाती है जो अपनी असली पहचान छिपा कर उससे मिलता रहता है। यह लड़का पाकिस्तानी ऑफिसर समीर के बिछाए जाल का एक मोहरा होता है और धृति को घर बुला कर उसे किडनैप कर लेता है।
श्रीकांत टास्क ज्वामें रहते हुए कैसे दुश्मनों से लड़ता है, उसके सामने और कैसे चैलेंजेज सामने आते हैं। क्या शुचि और अरविंद की कहानी किसी अंजाम तक पहुंचती है, बेटी धृति को वह क्या बचा पाएगा, इन सारे सवालों को जवाब के लिए आपको यह पूरी सीरीज खुद देखनी चाहिए वरना मजा खराब हो जाएगा।
बहरहाल बात करें एक्टिंग की तो पहले सीजन में हमने जिस श्रीकांत तिवारी को देखा था, वो अभी भी नहीं बदला है. उसका दिल देश के लिए धड़कता है. वह आईटी कंपनी में काम करते हुए भी देश की सुरक्षा के लिए फिक्रमंद हैं और उनका दिमाग सही वक्त पर सही फैसले लेना जानता है जैसे कि जेम्स बॉन्ड लेता है। श्रीकांत को इंडियन जेम्स बॉन्ड कहें तो गलत नहीं होगा। श्रीकांत के किरदार में मनोज बाजपेयी की जितनी तारीफ की जाए कम है। अपने गुस्से को भी जिस तरह से ह्यूमर के साथ पेश करने का उनका अंदाज है वह भी कमाल का है और इस रूप में वह जबरदस्त एंटरटेन करते हैं।
सामंथा अक्कीनेनी ने राजी के किरदार को पूरी तरह जस्टिैफाई किया है. कैसे एक अबला-असहाय सी दिखने वाली महिला से बदले की आग में जलने वाली खूंखार और निर्दयी बन जाती है, इसे राजी ने बखूबी दिखाया है. राजी को शो में पूरे समय चेहरे पर एक सपाट भाव लेकर चलना था जो कि सामंथा ने इतनी बारीकी से पेश किया कि एक बार को शक हो जाए कि ये फिल्मों में नजर आने वाली वही चुलबुली-खूबसूरत सामंता ही है।
अन्य मुख्य किरदारों में श्रीकांत की पत्नी शुचि के किरदार में प्रियामणि और अरविंद के रोल में शरद केलकर ठीकठाक हैं, इस बार उन्हें ज्यादा मौका नहीं मिला है। इस बार श्रीकांत तिवारी की बेटी धृति यानी अश्लेषा ठाकुर को अहम रोल मिला. चिढ़े हुए स्वभाव को अश्लेषा ने भी बहुत ही शानदार तरीके से दिखाया है। इनके अलावा सनी हिंदुजा, शारिब हाशमी, सीमा बिस्वास, दिलीप ताहिल, वेदांत सिन्हा समेत अन्य कलाकारों ने भी शानदार काम किया है।

बात करें निर्देशन की तो राज और डीके ने कहानी में सस्पेंस को बनाए रखा है और भारत, श्रीलंका और लंदन तक की लोकेशन को उन्हेंने रियलिस्टिक रखा है। नई कहानी को उन्होंने पिछली कहानी से जोड़ते हुए आगे बढ़ाया है। शुरू के एपिसोड्स में कहानी धीमी जरूर हो जाती है लेकिन सस्पेंस इतना तगड़ा है कि आप उसे झेल ले जाते हैं।
नेगेटिव प्वाइंट्स की बात करें तो इस सीरीज पर पिछले दिनों आई तांडव और मिर्जापुर वेबसीरीज को लेकर उठे विवाद का साया साफ नजर आता है। पूरी सीरीज में कुछ ज्यादा ही एहतियात बरता गया है, विवाद और पॉलिटिकल मुद्दों से बचने की पूरी कोशिश की गई है जिसकी वजह से कहानी ज्यादा चौंकाती नहीं है और इसमें धीमापन भी है और कुछ सीन जबरदस्ती ठूंसे लगते हैं। पिछले सीजन में मूसा का किरदार निभाने वाले मूसा यानी नीरज माधव इस बार नहीं दिखे हैं, उनकी कमी साफ खली है।
एक बड़ा नेगेटिव प्वाइंट यह भी है कि कहानी को रियलिस्टिक रखने के चक्कर में तमिल और इंग्लिश डायलॉग्स काफी रखे गए हैं, ऐसे में सबटाइटिल्स की मदद से उन्हें समझने में काफी परेशानी होती है।

ओवरऑल बात करें तो वेबसीरीज अच्छी है और नेगेटिव प्वाइंट्स कम ही हैं और ऐसे नहीं हैं जिनकी वजह से इसे नहीं देखा जाए, कहानी में नयापन है, प्रजेंटेशन अच्छा है, इसे आप देखना शुरू करेंगे तो बोर नहीं होंगे, हर एपिसोड देखते हुए आगे बढ़ना चाहेंगे और इसके सभी 9 एपिसोड्स देख कर ही उठेंगे। यह वेबसीरीज आपको ओवरऑल निराश नहीं करेगी।

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