ओटीटी ने दमदार कंटेंट वाली फिल्मों को मंच दिया है। नेटफ्लिक्स पर इस फ्राइडे सुधीर मिश्रा की फिल्म आई… सीरियस मेन.. नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नासिर, इंदिरा तिवारी और अक्षत दास के लीड रोल वाली इस फिल्म ने कई मुद्दों को उठाया है और यह फिल्म दिल को छू लेती है।
सीरियस मेन,… मनु जोसेफ के इसी नाम से आये उपन्यास पर आधारित फिल्म है। तमिलनाडु के एक छोटे से गांव के दलित परिवार का अय्यन मणि यानी नवाजुद्दीन सिद्दीकी मुंबई की एक चॉल में एक छोटे से कमरे में पत्नी जिसका किरदार इदिरा तिवारी ने निभाया है- के साथ रहता है। अय्यन, स्पेस साइंटिस्ट डॉ. आचार्य यानी नासिर का पीए है। बॉस की आदतन झिड़कियों और तंगहाली में जीवन बिताने वाला अय्यन अपने बेटे को एक सुरक्षित और कामयाब भविष्य देना चाहता है। वो उसे सीरियस मेन बनाना चाहता है।
अय्यन अपने बेटे को बड़ा आदमी बनाना चाहता है। वह अपने बॉस से सीखे तमाम छल-प्रपंच को अपना कर अपने बच्चे की इमेज एक जीनियस के रूप में गढ़ता है। वह उसे उम्र से बड़े लेवल की बातें याद करा कर मीडिया और समाज के सामने जीनियस साबित करता है। इससे उसे समाज में रुतबा, शोहरत, पैसा सब मिलता है। लेकिन एक बच्चा ज्यादा दिनों तक झूठ के इस बोझ को उठा नहीं पाता। आगे की कहानी के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
सुधीर मिश्रा इस फिल्म में एक पिता की इच्छा-उम्मीदों के साथ ही जातिगत कुंठा और गरीबी से त्रस्त एक इंसान की चाहत, शिक्षा व्यववस्था की कुछ बुनियादी कमियों और दलित राजनीति का फायदा उठाने की कोशिश में लगे धूर्तों की सियासत को भी छूते हुए आगे बढ़ते हैं।
फिल्म का निर्देशन अच्छा है और इसकी कहानी दिल को छू लेने वाली है। सुधीर मिश्रा ने कहानी को कसे हुए रखा है और 2 घंटे में ही जो वह दिखाना चाहते हैं दिखा दिया है। यह अच्छी बात है। डायलॉग्स दमदार हैं लेकिन संवादों को वास्तविकता के नज़दीक रखने के चक्कर में गालियों का काफी इस्तेमाल किया गया है। शायद ओटीटी पर इनके बिना काम न चलता हो। बहरहाल आखिर में एक प्यारा सा गीत रखा गया है जिसके बोल काफी मीनिंगफुल हैं और यह सुनने में भी अच्छा लगता है।
नवाज़उद्दीन और नासिर के लिए ऐसे चरित्र निभाना कोई चुनौती नहीं है, वह हर नई फिल्म में और बेहतर करते हैं। इनके अलावा बेटे का किरदार निभाने वाले बाल कलाकार अक्षत दास और पत्नी बनीं इंदिरा तिवारी ने भी काफी अच्छा काम किया है। दबाव का क्या असर होता है छोटे से अक्षत ने इसे पर्दे पर इसे बखूबी पेश किया है।
हम इस फिल्म को देते हैं 5 में से चार स्टार। एक स्टार इसकी दमदार कहानी के लिए। एक स्टार नन्हे अक्षत दास की दमदार एक्टिंग के लिए और एक स्टार बाकी के कलाकारों के लिए। एक स्टार है बढ़िया निर्देशन के लिए कि सुधीर मिश्रा ने 2 घंटे में अपनी बात अच्छे से कह दी और बांधें रखा है। आपको इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए।

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