भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के इस्तीफे के बाद खाली हुई विधान परिषद की सीट के लिए पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाया है। दारा सिंह चौहान के जरिए भाजपा ने दिया बड़ा संदेश दिया है जिससे यूपी के सियासी गलियारों में इस खबर से हलचल मच गई है। ओम प्रकाश राजभर जैसे भाजपा के सहयोगी इस फैसले से बेहद खुश हैं वहीं विपक्षी दलों में हड़कंप मच गया है। भाजपा ने खास रणनीति के तहत दारा सिंह चौहान को एमएलसी पद का उम्मीदवार बनाया है। यह फैसले एक बड़े राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकता है।
दारा सिंह चौहान ने पहले समाजवादी पार्टी (सपा) का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। भाजपा ने तुरंत इनाम देते हुए उन्हें घोसी उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया लेकिन चौहान को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव के लिए दारा से कुछ पहले ही भाजपा के साथ जुड़े सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने भी पूरा जोर लगया था। हार के बाद कहा जाने लगा था कि भाजपा अब इन दोनों नेताओं को भाव नहीं देने वाली लेकिन ऐन चुनावों से पहले भाजपा दारा सिंह चौहान को उम्मीदवार बना कर विपक्षी खेमे में खलबली मचा दी है।
दारा सिंह की उम्मीदवारी के साथ ही अब यह भी तय माना जाने लगा है कि भाजपा उन्हें योगी कैबिनेट के आगामी विस्तार में मंत्री बनाएगी। इतना ही नहीं, ओम प्रकाश राजभर को भी मंत्री पद मिलना तय माना जा रहा है।
भाजपा इसके जरिए संदेश देने की कोशिश कर रही है कि जो भी उस पर भरोसा करके आया है उसे निराश नहीं होने दिया जाएगा। इसमें कोई शक नहीं कि दारा सिंह चौहान और ओम प्रकाश राजभर राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते ही भाजपा के साथ जुड़े है। ओपी राजभर तो अपनी मंत्री बनने की इच्छा कई बार खुलकर जाहिर भी कर चुके हैं।
भाजपा की राजनीति अब नए तरह की है। यहां सिर्फ पुराने लोगों को ही तवज्जो नहीं मिलती, बल्कि कोई योग्य और जनाधार वाला व्यक्ति बाहर से आता है तो उसे भी पूरा सम्मान और इनाम दोनों दिया जाता है। भाजपा ने पहले ही दूसरे दलों से आने वाले कई नेताओं को जल्दी ही बड़ी जिम्मेदारियां देकर इसे साबित भी किया है चाहे वह हिमंता बिश्व शर्मा हों या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया या फिर जितिन प्रसाद। इसी कड़ी में नए नाम होंगे दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर के।
बीजेपी संदेश दे रही है कि वह नए नेतृत्व को प्रोत्साहित करती है जो राजनीतिक स्तर पर उभर सकता है। दारा सिंह चौहान और ओपी राजभर को साथ देने का इनाम मिलता है तो इससे विपक्षी खेमे में पतझड़ जैसी स्थिति आ सकती है। पतझड़ का मौसम अब दूर नहीं, विपक्षी खेमे के ऐसे नेता जो लंबे समय से सत्ता से दूर हैं वह मौके की नजाकत को समझते हुए पलटी मारने की सोच सकते हैं। भाजपा में जाकर उन्हें बहुत कुछ मिल सकता है इसकी उम्मीद वह कर सकते हैं।